16 फरवरी 2014 को छत्तीसगढ़ के एक आदिवासी जिले कांकेर के बागोड गांव के एक घर में हडकंप मच
हुआ था। परिवार के लोग बैचेनी से पूरे गांव में किसी को ढूंढ रहे थे। दरअसल इस घर
की नौ वर्षीय बेटी सुनीता (बदला हुआ नाम) दिन भर से लापता थी। जब रात 10 बजे तक
बालिका का कोई पता नहीं चल पाया तो परिजन गांवोंवालों के साथ घर लौट आए और तय किया
गया कि लड़की को दूसरे दिन अलसुबह फिर से खोजा जाएगा। लेकिन तभी गांव के ही एक
युवक ने लड़की के भाईयों को रात में ही लड़की को ढूंढने के लिए मनाया। वह युवक और
लड़की के भाई जब गांव से लगे जंगल में पहुंचे तो उन्हें सुनीता मिल भी गई लेकिन
जिंदा नहीं मुर्दा।
कांकेर के बागोड़ गांव की सुनीता के साथ क्या हुआ,
ये जानने से पहले यहां यह बताना जरूरी है कि छत्तीसगढ़ जैसा छोटा सा प्रदेश भी अब
लड़कियों के लिए सुरक्षित नहीं रहा। चौंकाने वाले आंकड़े ये हैं कि प्रदेश में पिछले साल की तुलना में 33 फीसदी बलात्कार के मामले बढ़ गए
हैं। वर्ष 2012 में बलात्कार के जहां 1034 मामले थे, वहीं 2013 में यह
बढ़कर 1380 पहुंच गए। यही नहीं, 30 अप्रैल,
2014 तक प्रदेश में बलात्कार के 430 मामले
दर्ज हुए हैं।। राजधानी रायपुर में पिछले एक सप्ताह में बलात्कार के तीन मामले
सामने आए हैं। सभी मामलों में किशोर लड़कियों को निशाना बनाया गया है। छत्तीसगढ़
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में नाबालिगों के साथ बड़े पैमाने पर
बलात्कार की घटनाएं सामने आ रही हैं। प्रदेश में रोजाना दो नाबालिगों के साथ
बलात्कार हो रहा है। पुलिस के आंकड़ों को मानें तो प्रदेश में बलात्कार के शिकार
में 50 फीसदी नाबालिग बच्चियां हैं। वर्ष 2013 में बलात्कार के 1380 मामलों में 658 केस नाबालिगों के साथ हुए बलात्कार के दर्ज हुए हैं। गैंगरेप के मामले में
भी छत्तीसगढ़ पीछे नहीं है। पिछले साल गैंगरेप के सात मामले दर्ज किए गए, जिसमें एक से अधिक आरोपियों ने नाबालिग के साथ मिलकर बलात्कार किया है।
कांकेर की सुनीता भी ऐसे ही एक दर्दनाक और शर्मनाक
हादसे की शिकार हो गई। 9 साल की बालिका के हत्या की गुत्थी को कांकेर पुलिस
ने 24 घंटे के
भीतर सुलझाते हुए गांव के 18 वर्षीय युवक चंद्रशेखर नेताम को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस की पूछताछ में आरोपी ने स्वीकार किया कि बलात्कार के प्रयास में असफल होने
के कारण ही भाग रही बालिका को पत्थर से मारकर नृशंस हत्या कर शव को गांव के बाहर
पत्थर के खोह में डालकर गांव वापस लौट गया था। जब परिजन बालिका को खोज रह थे, तब
वह ना केवल भी खोजने वालों के साथ था, बल्कि सुनीता के भाईयों के साथ मिलकर शव को
भी उसी ने ढूंढा था। सुनीता हमेशा की तरह गांव में घूम रही थी, तभी आरोपी
चंद्रशेखर नेताम उसे बहला फुसला के जंगल की ओर ले गया और दुस्कर्म का दो बार
प्रयास किया जो कि मृतका के विरोध के चलते असफल होने के कारण आरोपी ने एक पत्थर से
सुनीता के छाती, पेट और चेहरे को कुचल दिया और लाश का पत्थर के बीच
डालकर गांव वापस आ गया और घरवालों के साथ सुनीता को ढूंढने का नाटक करने लगा।
नेशनल क्राइम रिकार्ड
ब्यूरो द्वारा 2011
में हुए आपराधिक घटनाओं पर जारी रिकार्ड
के मुताबिक छत्तीसगढ़ में बलात्कार की 1053 घटनाएं हुईं। इससे 14 से 18 आयु वर्ग की बालिकाएं
सर्वाधिक प्रभावित हैं। 344 मामलों में 14 से 18 आयु वर्ग की बालिकाओं
के साथ बलात्कार किया गया। वहीं 18 से 30 आयु वर्ग में 377 महिलाएं अनाचार की शिकार बनीं। जांजगीर-चांपा
जिले की समाजसेवी महिला संस्था ने अधिवक्ता मीना शास्त्री, जेके शास्त्री के जरिए हाईकोर्ट में
जनहित याचिका लगाई है। इसमें देश में पिछले कुछ सालों में बलात्कार के लगातार
बढ़ते मामलों पर चिंता जाहिर करते हुए कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार के
मामलों की जांच और विचारण को लेकर सभी हाईकोर्ट सहित अन्य पक्षों को दिशा-निर्देश
जारी किए थे। इसमें किसी का भी पालन नहीं किया जा रहा है। इसकी वजह से मामलों की
संख्या बढऩे के साथ ही जांच और विचारण की कार्रवाई भी नियमानुसार नहीं हो रही है।
छत्तीसगढ़ भी बलात्कार के मामलों से अछूता नहीं है। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने गुरमीत
सिंह और साक्षी मामले में सुनवाई करते हुए जांच और विचारण ((इनवेस्टिगेशन एंड
ट्रायल))को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए थे कि बलात्कार के मामलों की जांच महिला
पुलिस अफसर द्वारा ही कराई जानी चाहिए। इसी तरह मामलों का ट्रायल हमेशा बंद कमरे
में ही होना चाहिए। मामलों की सुनवाई महिला जज द्वारा ही कराई जानी चाहिए। याचिका
में कहा गया है कि वकीलों को भी सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों की जानकारी नहीं
है, इसे देखते हुए स्टेट बार कौंसिल को भी
पक्षकार बनाया गया है।
छत्तीसगढ़ में बढ़ते
बलात्कार के मामलों पर राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष लता उसेंडी कहती हैं कि “यह काफी गंभीर विषय
है। जागरूकता के अभाव में लोग अपराध की तरफ बढ़ते हैं। आयोग ऐसे मामलों में
संज्ञान ले रहा है। हम जल्द ही इस पर अंकुश लगाने के लिए कड़े कदम उठाएंगे।“
राजधानी रायपुर में एक
दिन में तीन शिकायतें
राजधानी में 31 अगस्त 2014 को एक साथ तीन
बलात्कार के मामले सामने आए। उरला इलाके में एक ढाई साल की बच्ची से बलात्कार की
कोशिश की गई। स्थानीय लोगों ने आरोपी को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। स्टेशन रोड
लोधीपारा निवासी हरिकृष्ण मिश्रा उर्फ छोटू ने एक महिला के साथ बलात्कार किया।
महिला में अपनी शिकायत में कहा कि हरिकृष्ण ने उसके साथ 31 दिसम्बर
2013 की रात चाकू की नोंक पर बलात्कार किया। आरोपी अब तक
पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। वहीं, तेलीबांधा में रिश्तेदार
ने ही युवती की आबरू लूट ली। जलविहार कॉलोनी में रहने वाले नरेंद्र सोनी ने युवती
को बंधक बनाकर कई दिनों तक बलात्कार किया।
आदिवासी जिलों में दर्ज
नहीं हो रहे मामले
पुलिस मुख्यालय के उच्च
पदस्थ सूत्रों के अनुसार आदिवासी जिलों में बलात्कार के मामले थानों तक कम पहुंच
रहे हैं। पीड़िता या तो ग्रामीणों के दबाव में या सामाजिक कारणों से थानों में
शिकायत नहीं कर रही हैं। सीआईडी के एक अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया
कि थानों में बलात्कार की शिकायतें जागरूकता के कारण बढ़ रही हैं। पहले ये शिकायतें
थाने नहीं पहुंच रही थीं। यह पुलिस और प्रशासन के लिए अच्छा संकेत है। पुलिस
मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, बस्तर के आदिवासी जिले बीजापुर में 6, दंतेवाड़ा में 9, नारायणपुर में 10, सुकमा में 8 और कोंडागांव में 19 मामलों में एफआईआर दर्ज की गई।
सबसे ज्यादा शिकार नाबालिग
चौंकाने वाले आंकड़े ये हैं कि प्रदेश में पिछले साल की तुलना में 33 फीसदी बलात्कार के मामले बढ़ गए हैं। वर्ष 2012 में बलात्कार के जहां 1034 मामले थे, वहीं 2013 में यह बढ़कर 1380 पहुंच गए। यही नहीं, 30 अप्रैल, 2014 तक प्रदेश में बलात्कार के 430 मामले दर्ज हुए हैं।। राजधानी रायपुर में पिछले एक सप्ताह में बलात्कार के तीन मामले सामने आए हैं। सभी मामलों में किशोर लड़कियों को निशाना बनाया गया है। छत्तीसगढ़ पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में नाबालिगों के साथ बड़े पैमाने पर बलात्कार की घटनाएं सामने आ रही हैं। प्रदेश में रोजाना दो नाबालिगों के साथ बलात्कार हो रहा है। पुलिस के आंकड़ों को मानें तो प्रदेश में बलात्कार के शिकार में 50 फीसदी नाबालिग बच्चियां हैं। वर्ष 2013 में बलात्कार के 1380 मामलों में 658 केस नाबालिगों के साथ हुए बलात्कार के दर्ज हुए हैं। गैंगरेप के मामले में भी छत्तीसगढ़ पीछे नहीं है। पिछले साल गैंगरेप के सात मामले दर्ज किए गए, जिसमें एक से अधिक आरोपियों ने नाबालिग के साथ मिलकर बलात्कार किया है।
पोक्सो में दर्ज होता है मामला
नाबालिग के साथ हो रहे बलात्कार के मामले में पुलिस पोक्सो एक्ट लगा रही है। इसमें अलग-अलग 47 धाराओं को एक साथ जोड़ा गया है। यही नहीं, मुकदमा कायम नहीं करने वाले पुलिस अधिकारी के खिलाफ भी कार्रवाई का प्रावधान है। इसमें पुलिस अधिकारी को जेल की सजा हो सकती है।
थाने नहीं पहुंच पाते सैकड़ों मामले
बलात्कार और अन्य अपराध के सैकड़ों मामले थाने ही नहीं पहुंच पाते हैं। एनसीआरबी के अनुसार छत्तीसगढ़ में एक साल में 318619 शिकायतों में से मौखिक शिकायतें 133272 हैं। इसमें पीड़ित थाने नहीं पहुंचे हैं। थाने में लिखित शिकायतें 84930 दर्ज की गई हैं। इसके साथ ही पुलिस कंट्रोल रूम में 100 नंबर डायल करके 62567 मामलों की शिकायत दर्ज कराई गई है। पुलिस ने स्वविवेक के आधार पर भी 37850 मामले दर्ज किए हैं।
शौचालय का नहीं होना भी कारण
हाल ही में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सभी प्रदेशों से यह जानकारी मांगी है कि खुले में शौच करने जा रही कितनी महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ है। दरअसल, इस जानकारी का इस्तेमाल निर्मल भारत अभियान में भी किया जाएगा। बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में 40 फीसदी घरों में अब भी शौचालय नहीं है।
डीजीपी एएन उपाध्याय का कहना है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग खुले में शौच करने जा रही महिलाओं के साथ हो रही बलात्कार की घटना से चिंतित है। इसको देखते हुए पुलिस मुख्यालय से यह जानकारी मांगी गई है कि प्रदेश में कितनी महिलाओं के साथ खुले में शौच करने जाते समय बलात्कार हुआ है। इसके लिए सभी जिलों के एसपी को पत्र भेजा गया है।
जशपुर के एसपी जितेंद्र मीणा ने बताया कि संपूर्ण स्वच्छता अभियान के लक्ष्य को पूरा करने के लिए भी यह जानकारी एकत्र की जा रही है। रायगढ़ एसपी राहुल भगत ने बताया कि पिछले दिनों एक रिपोर्ट में सामने आया कि बलात्कार का एक बड़ा कारण महिलाओं का शौच के लिए घरों से बाहर जाना है। इसको देखते हुए सभी थानों से जानकारी मांगी गई है।
ढाई लाख घरों में पक्का शौचालय बनाने का लक्ष्य
राज्य सरकार ने निर्मल भारत अभियान के तहत छत्तीसगढ़ में चालू वित्तीय वर्ष में दो लाख 42 हजार घरों में पक्के और स्वच्छ शौचालयों के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया है। इनमें से 75 हजार शौचालय इंदिरा आवास योजना के तहत मकान बनाने वाले परिवारों के यहां बनाए जाएंगे। वर्ष 2013-14 की निर्मल भारत अभियान की कार्ययोजना में एक लाख 15 हजार 875 बीपीएल परिवारों और एक लाख 30 हजार 698 एपीएल परिवारों में शौचालय निर्माण का लक्ष्य रखा गया है।
राज्य में अब तक कुल 19.37 लाख शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है। इसमें स्कूलों में कुल 51 हजार 832 शौचालय बनाए गए हैं। अभियान के तहत शौचालय निर्माण के लिए प्रत्येक आवेदक परिवार को दस हजार रुपए की सहायता शासन द्वारा दी जा रही है। इसमें से साढ़े चार हजार रुपए मनरेगा के तहत और 900 रुपए स्वयं आवेदक का अंशदान होता है।
फैक्ट फाइल
वर्ष-बलात्कार
वर्ष 2011 में छग में 1053 बलात्कार के मामले
वर्ष 2013 में छत्तीसगढ़ में 1380 बलात्कार के मामले
वर्ष 2012 में छत्तीसगढ़ में 1034 बलात्कार के मामले
वर्ष 2013 में राजधानी रायपुर में 85
बलात्कार के मामले दर्ज
वर्ष 2012 में राजधानी रायपुर में 64
बलात्कार के मामले दर्ज
सबसे ज्यादा बलात्कार इन
जिलों में
रायपुर-139
दुर्ग-106
बिलासपुर-96
रायगढ़- 90
जशपुर-88
बलरामपुर-84
(वर्ष 2013 के पुलिस
रिकॉर्ड से प्राप्त जानकारी के अनुसार)
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