गुरुवार, 16 अक्तूबर 2014

मोदी का नहीं हम सबका अभियान


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान का ऐलान कर उस हरेक वर्ग को राहत देने का काम किया है, जिसे रोजाना कहीं ना कहीं गंदगी से दो चार होना पड़ता है। स्वच्छ भारत अभियान का सबसे ज्यादा फायदा उस तबके को मिलेगा, जिसके पास साफ-सफाई की सुविधा भोगने के लिए जेब में मोटी रकम नहीं होती। यह अभियान गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वालों के साथ ही मध्यमवर्गीय और उच्च मध्यमवर्गीय लोगों के लिए संजीवनी का काम करेगा। हम सब जानते हैं कि भारतीयों की आम मानसिकता केवल अपने घर को चमकाने की रही है, घर में झाडू लगाकर कचरा हम सड़कों पर फेंक देते हैं। हम तब भी नहीं सुधरते, जब हम घरों से बाहर निकलते हैं तो हमारा ही फैलाया कचरा हमारा जीवन मुहाल सा कर देता है। सबसे ज्यादा कष्ट रेल में सफर करने के दौरान होता है, हिंदुस्तान में तकरीबन सात हजार स्टेशन हैं। रेलवे स्टेशन से लेकर डब्बों तक पसरी गंदगी से किसी नारकीय जीवन की भासना होने लगती है। यात्रा लंबी हो तो किसी सजा से कम नहीं लगती। लेकिन अब चूंकि खुद प्रधानमंत्री इस समस्या को समझ रहे हैं, संभवतः उन्होंने भी कई बार इस कष्ट का सामना किया होगा। मोदी आम भारतीय की मानसिकता को भी भलीभांति समझते हैं। इसलिए इस अभियान में हरेक आमों खास को शरीक होने को कहा गया है। एक जागरूक नागरिक के नाते इस अभियान में शामिल होते वक्त हमें भी यह याद रखना होगा कि देश में गंदगी से हुए संक्रमण के कारण बड़ी संख्या में बच्चे जन्म लेने के साथ ही मौत के मुंह में समा जाते हैं। प्रति वर्ष 20 लाख से अधिक बच्चे अपना पांचवां जन्म दिन नहीं मना पाते। अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा पत्रिका लांसेट में छपे लेख में दावा किया गया है कि हर साल भारत में दो लाख से ज्यादा मौतें मलेरिया की वजह से हो जाती हैं। स्वाभाविक हैं कि मलेरिया मच्छरों के काटने से होता है और मच्छर गंदगी के कारण ही पनपते हैं। ये तो केवल बानगी भर है, बीमारीजनित रोगों से मरने वालों की सालाना संख्या कई लाखों में होगी। आशा ही नहीं विश्वास भी है कि लोग इस अभियान के जरिए अपनी जिम्मेदारी समझेंगे और केवल एक दिन नहीं, बल्कि हमेशा अपने आसपास, अपने कार्यस्थल, सार्वजनिक स्थलों की साफ-सफाई का ख्याल रखकर एक उज्जवल, स्वच्छ, बीमारी रहित भारत का स्वप्न साकार करेंगे।


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