शुक्रवार, 5 दिसंबर 2014

“सरकारी मौत”



छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य अमले को दिए जा रहे टारगेट का खामियाजा आम आदमी को अपनी जान देकर चुकाना पड़ रहा है। बिलासपुर के पेंडारी में हुए दर्दनाक हादसे के पीछे भी नसबंदी का टारगेट तो था ही, साथ ही नकली दवाओं का बहुत बड़ा गोरखधंधा भी 14 मौतों का कारण बना। पहले बात टारगेट की, पेंडारी की पूरी घटना को जानने के पहले आपको बताते चलें कि ऑपरेशन के लक्ष्य का स्वास्थ्य विभाग में इतना हौव्वा खड़ा किया जाता है कि राह चलते लोगों की नसबंदियां करवाई जा रही हैं। ऐसी ही घटना 27 नंवबर 2013 को छत्तीसगढ़ के सुदूर दंतेवाड़ा में हुई थी। जब दंतेश्वरी मंदिर के बाहर बैठकर भीख मांग दो भिखारियों की जबरिया नसबंदी कर दी गई थी। खून और त्वचा की जांच के बहाने प्रहलाद भतरा और रामू नामक दो भिखारियों की नीतीश नाम के एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता नसबंदी करवा दी थी। दोनों दंतेश्वरी मंदिर के बाहर बैठकर भीख मांग रहे थे। इन दोनों मजदूरों को नसबंदी के बाद प्रोत्साहन राशि के रूप में 1100-1100 रुपए भी दिए गए थे। यही है छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य सेवाओं की असली हकीकत।
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग का वर्ष 2013-14 का बजट 2 हजार 701 करोड़ रुपए आवंटित किया गया है। इतने बड़े बजट के सूबे के लोगों को तो छोड़िए खुद स्वास्थ्य विभाग का स्वास्थ्य सुधर नहीं पा रहा है। यह बात और भी गंभीर हो जाती है क्योंकि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री खुद भी डॉक्टर हैं। पिछले चार साल में छग में छह बड़े हादसे हो चुके हैं, जो सरकारी स्वास्थ्य शिविरों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर रहे हैं। खुद स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल भी सवालों के घेरे में हैं, क्योंकि पिछली सरकार में भी स्वास्थ्य विभाग उन्हीं के पास था। खुद मुख्यमंत्री पर अपने स्वास्थ्य मंत्री को अभयदान देने के आरोप लगते रहे हैं।
बहरहाल ताजा मामला बिलासपुर के गांव पेंडारी का है। जहां परिवार नियोजन का टारगेट पूरा करने के चक्कर में सरकारी नवीन जिला अस्पताल के सर्जन ने अपने सहयोगी के साथ मिलकर शिविर में 6 घंटे के भीतर 83 महिलाओं की नसबंदी कर दी। ऑपरेशन के बाद से ही महिलाओं की मौत का सिलसिला शुरु हो गया । फिलहाल 14 महिलाओं की मौत की पुष्टि हो चुकी है। इसके साथ ही 18 महिलाएं जीवन और मौत के बीच संघर्ष कर रही है और 50 से अधिक बीमार हो गईं हैं। घटना के बाद आनन-फानन में स्वास्थ्य विभाग के अमले ने दवा, इंजेक्शन, लेप्रोस्कोप समेत अन्य उपकरणों को जब्त कर लिया है।
स्वास्थ्य विभाग ने सरकारी शिविर को एक निजी अस्पताल (नेमीचंद जैन अस्पताल) में आयोजित किया था। यहां पर लेप्रोस्कोपी से महिलाओं की नसबंदी की जानी थी। शिविर में नवीन जिला अस्पताल के सर्जन डॉ. आरके गुप्ता की ही ड्यूटी लगी थी, जो अपने एक सहयोगी के साथ शिविर स्थल पर पहुंचे थे। इसके अलावा शेष स्टॉफ बीएमओ तखतपुर ने उपलब्ध कराया था। यहां पर 9 नंवबर यानि शनिवार को सुबह 11 बजे के बाद महिलाओं की नसबंदी शुरू हुई। प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो डॉक्टर आर के गुप्ता ने बगैर रुके 6 घंटे के भीतर ही 83 महिलाओं की नसबंदी कर दी। जबकि इतनी नसबंदियों में दो दिन लगना था। नसबंदी के बाद सभी महिलाओं को एंटीबयोटिक टेबलेट सिप्रोफ्लाक्सिन व दर्द निवारक ब्रूफेन नामक दवा दी गई थी। इसका सभी महिलाओं ने सेवन किया था। महिलाओं की मौत होने के बाद आनन-फानन में दवाओं की जांच की गई तो कोई भी दवा एक्सपायरी नहीं पाई गई। प्रथम दृष्टतया जांच में लेप्रोस्कोप से संक्रमण होने की बात कही जा रही है।
महिलाओं की मौत का आंकड़ा बढ़ते ही स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल को लेकर बिलासपुर पहुंचे मुख्यमंत्री रमन सिंह का बयान आया कि दोषी पाए गए किसी अधिकारी कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा। सरकार मृतकों के परिजनों और मरीजों के प्रति संवेदनशील है। पूरे मामले में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल चुप्पी साधे हुए हैं।
घटना के बाद मुख्यमंत्री ने संचालक स्वास्थ्य सेवाएं छत्तीसगढ़ डॉ कमलप्रीत सिं को हटा दिया गया है। परिवार कल्याण कार्यक्रम के राज्य समन्वयक डॉ. केसी ओराम, बिलासपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एससी भांगे, तखतपुर के खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रमोद तिवारी और एक सरकारी सर्जन डॉ. आरके गुप्ता को निलंबित कर दिया है। साथ ही आर के गुप्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।  स्वास्थ्य विभाग ने प्रत्येक मृतक महिला के परिवार के लिए चार लाख रुपए की सहायता देने का निर्णय लिया है। गंभीर रुप से मरीजों को नि:शुल्क इलाज के साथ-साथ प्रति मरीज 50-50 हजार रुपए की सहायता देने का ऐलान किया है। एक तरफ राज्य सरकार दोषी चिकित्सक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा रही है, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस नेता भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव कार्यकर्ताओं के हुजूम के साथ मुख्यमंत्री रमन सिंह और स्वास्थ्य मंत्री को घटना का दोषी मानते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग कर रहे हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल का कहना है कि ऑपरेशन के बाद हुई मौत की नैतिक जिम्मेदारी राज्य सरकार की बनती है। इसलिए मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए
पेंडारी में महिलाओं की नसबंदी करने वाले चिकित्सक डॉ आर के गुप्ता को इसी 26 जनवरी को 50 हजार ऑपरेशन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए पुरस्कृत किया गया था। नौ महिलाओं की मौत के बाद भी डॉ गुप्ता अपने ऑपरेशन में कोई गलती नहीं मान रहे हैं। उनका दावा है कि महिलाओं की तबीयत दवाईयों के कारण खराब हुई है।
दर्दनाक हादसे के बाद मुख्यमंत्री रमन सिंह ने घटना की समीक्षा करने के लिए कैबिनेट की बैठक बुलाई और स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल समेत सभी मंत्रियों को अपने-अपने विभागों की परफार्मेंस रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं। सरकार के सभी मंत्री अपना लेखा-जोखा 30 नंबवर तक मुख्यमंत्री के पास जमा करवाएंगे। मुख्य सचिव विवेक ढांड की अध्यक्षता में एक उच्च अधिकार प्राप्त समिति भी बना दी है, जो मंत्रियों के विभागों की फ्लैगशिप योजनाओं की नियमित मॉनीटरिंग।
बॉक्स
कब कितने कांड
22 से 30 सितंबर 2011 को बालोद नेत्रकांड में जिला चिकित्सालय में आयोजित शिविर में 300 लोगों के ऑपरेशन हुए। टारगेट पूरा करने के दबाव में चिकित्सकों ने पंद्रह बाय पंद्रह के छोटे से कमरे में रखी तीन ऑपरेशन टेबल पर छह घंटे में मोतियाबिंद के 93 ऑपरेशन कर दिए गए। संक्रमण ने 52 मरीजों की आंखें छीन लीं। 4 मरीजों को जान भी चली गई।
कवर्धा नेत्रकांड में कवर्धा के जिला चिकित्सालय में 21 से 29 सितंबर 2011 के मध्य आयोजित शिविर में ऑपरेशन के बाद फैले संक्रमण से 20 मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई। दो मरीजों को जान गंवानी पड़ी।  
बागबहरा नेत्रकांड में महासमुंद जिले का बागबाहरा। बागबाहरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 9-10 दिसंबर 2012 को 145 मरीजों का ऑपरेशन हुआ। 12 मरीज संक्रमण के शिकार हो गए।
दुर्ग नेत्रकांड में जिला चिकित्सालय में 11 अप्रैल 2012 को हुए मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद संक्रमण से 3 मरीजों की आंखें खराब हो गई थीं, जबकि 12 मरीजों को संक्रमण हो गया था। जांच में पता चला कि शिविर में इस्तेमाल की गई दवाएं घटिया थीं।
7 जुलाई 2012 को हुए बहुचर्चित गर्भाशय कांड बिलासपुर, रायपुर समेत कई जिले। गर्भाशय कांड ने प्रदेश को चौंका दिया था कि डॉक्टर्स राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना की रकम हड़पने के लिए महिलाओं के गर्भाशय निकाल दिए थे। अकेले बिलासपुर में ही 31 नर्सिंग होम में छह महीने के दौरान 722 महिलाओं के गर्भाशय निकाल लिए गए थे। दुर्ग नसबंदी कांड- तारीख 12 जनवरी 2013। स्थान दुर्ग। जनसंख्या नियंत्रण पखवाड़े के दौरान छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में टारगेट पूरा करने के चक्कर में महिलाओं को दूषित इंजेक्शन लगाने का मामला सामने आया था। इससे नसबंदी के बाद महिलाओं के पेट में घाव हो गये थे।
और अब पेंडारी नसबंदी कांड में बिलासपुर के तखतपुर का ग्राम पेंडारी। पेंडारी में आयोजित नसबंदी शिविर में ऑपरेशन के बाद दो दिन के भीतर 9 महिलाओं की मौत हो चुकी है और 56 गंभीर रूप से बीमार हैं। यहां यह बताना जरूरी है कि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल खुद बिलासपुर से विधायक हैं। अमर अग्रवाल पिछली सरकार में भी सूबे के स्वास्थ्य मंत्री थे। उपरोक्त सारे कांड उन्हीं के कार्यकाल में अंजाम दिए गए हैं।
जांच टीम के आने के पहले ही जलाई दवाएं
बिलासपुर के पेंडारी में जिस नैमीचंद जैन अस्पताल में महिलाओं के लिए नसबंदी शिविर लगाया गया था। जांच टीम के वहां पहुंचने से पहले ही कुछ अज्ञात लोगों ने सील तोड़कर अस्पताल में रखी दवाएं व कुछ दस्तावेज जला दिए। इस घटना ने कई बड़े संदेहों को जन्म दे दिया है। दवाओं को जलाने को नकली या गुणवत्ताहीन दवाओं से जोड़ककर देखा जा रहा है। नसबंदी शिविर में जो दवाएं उपयोग में लाई गई थीं, उनमें एट्रोपिन और डाईजोपॉम दवा-नंदनी मेडिकल्स इंदौर, फोर्टविन पेंट्राजेस्टिक इंजेक्शन-मैग्मा लेबोरेट्ररिज़ प्राइवेट लिमिटेड गुजरात और सिप्रोबीन बूफ्रिन टैबलेट-जीन लेबोरेट्री नागपुर द्वारा सप्लाई की गई थीं। बिलासपुर के पेंड्रा में भी नसबंदी शिविर के बाद महिलाओं की हालत बिगड़ने पर दवाओं को कचरे में फेंकने का मामला सामने आया है।
इस बारे में बिलासपुर के कलेक्टर सिद्धार्थ कोमल परदेशी का कहना है कि उन्हें इंजेक्शन और दवाएं जलाने की कोई जानकारी नहीं है। परदेशी का कहना है कि नेमीचंद अस्पताल का ऑपरेशन थियेटर सोमवार की रात को ही सील कर दिया गया था
पेड्रा और जगदलपुर में भी बिगड़ी 23 महिलाएं की हालत
बिलासपुर के पेंडारी में अभी मौतों का सिलसिला थमा भी नहीं है, उधर पेंड्रा (बिलासपुर) और जगदलपुर (बस्तर) में भी नसबंदी शिविर में ऑपरेशन करवाने वाली महिलाओं की हालत गंभीर हो गई है। पेंड्रा की 16 महिलाओं को बिलासपुर रेफर किया गया है। यहां सोमवार यानि 10 नंवबर को 52 महिलाओं का नसबंदी ऑपरेशन किया गया था। वहीं जगदलपुर के महारानी अस्पताल में 7 महिलाओं को अत्यधिक ब्लीडिंग की वजह से केजुअल्टी वार्ड में भर्ती कराया गया है। बस्तर के सीएमओ देंवेद्र नाग ने इस बात की पुष्टि की है कि नसबंदी शिविर में ब्लीडिंग की शिकायत आई है। बिलासपुर के पेंडारी के बाद पेंड्रा और जगदलपुर में भी महिलाओं की बिगड़ती हालत ने इस्तेमाल की गई दवाइओं और इंजेक्शन पर भी सवालिया निशान लगा दिए हैं।
संरक्षित बैगा जनजाति की भी नसबंदी
सोमवार को पेंड्रा में लगे नसबंदी शिविर में संरक्षित बैगा जनजाति की दो महिलाओं की भी नसबंदी कर दी गई। जबकि इन जनजातियों घटती जनसंख्या के चलते इनकी नसबंदी करने पर रोक लगाई गई है। इस जनजाति के लोग राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहलाते हैं क्योंकि इन्हें सरंक्षित करने के साथ ही राष्ट्रपति ने इन्हें गोद लिया हुआ है। मरवाही के धनौली गांव की रहने वाली चैती बाई और मंगली बाई दोनों की हालत ऑपरेशन के बाद खराब होने पर यह बात उजागर हुई। इसमें से चैतीबाई की भी इलाज के दौरान मौत हो गई।


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