शुक्रवार, 21 मार्च 2014

किसमें कितना है दम

छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों को लेकर कांग्रेस और भाजपा ने अपने-अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। प्रत्याशियों के ऐलान के साथ स्पष्ट हुए राजनीतिक समीकरण से तय हो गया है कि किस सीट पर किसका पलड़ा भारी रह सकता है। फिलहाल सूबे की 11 में से 10 सीटें भाजपा के पास हैं, जबकि एकमात्र सीट कोरबा पर कांग्रेस का कब्जा है। लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतना चाहती है। हालांकि भाजपा ने भी काफी सोच समझकर हर सीट पर उम्मीदवार तय किए हैं। भाजपा ने सात पुराने चेहरों को मौका दिया है, जबकि पांच नए चेहरों को मैदान में उतारा है। उसमें छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह का नाम भी शामिल है। जिन्हें राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र से भाजपा का उम्मीदवार बनाया गया है। छत्तीसगढ़ में तीन चरण में लोकसभा चुनाव होना है। पहले चरण में यानि 10 अप्रैल को बस्तर लोकसभा सीट के लिए मतदान होगा। जबकि 17 अप्रैल को राजनांदगांव, कांकेर और महासमुंद मे वोट डाले जाएंगे। जबकि 24 अप्रैल को रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, जांजगीर चांपा, रायगढ़, कोरबा और सरगुजा में मतदान होगा। लेकिन दूसरे चरण की दो सीटों पर सबकी नजरें टिकी रहेंगी, क्योंकि राजनांदगांव में सूबे के वर्तमान मुख्यमंत्री रमन सिंह तो महासमुंद में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।
नक्सलवाद से जूझ रहे छत्तीसगढ़ में सबसे बड़ी चुनौती माओवाद प्रभावित सीटों पर शांतिपूर्वक चुनाव संपन्न करवाना है। यही कारण है कि पहले चरण में केवल एक बस्तर सीट पर मतदान होना है। माओवादियों के नापाक मंसूबों को नाकाम करने के लिए फिलहाल सुरक्षा बलों की 65 कंपनियां बस्तर पहुंच रही हैं। इनमें केंद्रीय रिजर्व सुरक्षा बल, आईटीबीपी, बीएसएफ शामिल हैं। हालांकि राज्य सरकार ने केंद्र ने और अर्ध्यसैनिक बलों की मांग की है। बस्तर से कांग्रेस ने महेंद्र कर्मा के बेटे दीपक कर्मा को टिकट दिया है। महेंद्र कर्मा मई 2013 में झीरम घाटी हमले में मारे गए थे। भाजपा ने दीपक के मुकाबले अपने वर्तमान सासंद दिनेश कश्यप पर ही भरोसा जताया है। वहीं आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार सोनी सोरी दोनों को कड़ी चुनौती देती नजर आ रही है। सोनी सोनी पर नक्सलियों की मदद के आरोप हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट से उन्हें जमानत मिली है। आप की टिकट मिलते ही सोनी सोरी ने भाजपा और कांग्रेस दोनों पर शाब्दिक प्रहार शुरु कर दिया है। अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित ये सीट वैसे भी भाजपा के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकती है। इसका कारण विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बस्तर लोकसभा में आने वाली 12 में 8 सीटों पर फतह हासिल की थी। जिसका फायदा कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में मिल सकता था, लेकिन सोनी सोरी की उम्मीदवारी ने कांग्रेस की संभावनाओं को भी क्षीण कर दिया है। बस्तर सीट पर त्रिशंकु मुकाबला देखने लायक होगा।
दूसरे चरण में छत्तीसगढ़ की माओवाद प्रभावित सीटों पर ही चुनाव होने हैं। इनमें राजनांदगांव, कांकेर, महासमुंद लोकसभा सीट शामिल हैं। राजनांदगांव सीट पर मुख्यमंत्री रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह किस्मत आजमाएंगे। यहां से भाजपा के वर्तमान सासंद मधुसूदन यादव की टिकट काटी गई है। दिलचस्प बात ये है कि नरेंद्र मोदी भी इस सीट को लेकर चिंता जता चुके हैं। सूत्र बताते हैं कि मोदी ने उम्मीदवार की जीत तय करने के लिए किसी एक की जिम्मेदारी तय करने की हिदायत भी दी है। कांग्रेस ने यहां से नए चेहरे कमलेश्वर वर्मा को टिकट देकर इलाके के लोधी समाज को साधने की कोशिश की है। राजनांदगांव सीट पर सबकी नजरें होंगी क्योंकि इसपर खुद मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। हालांकि राजनांदगांव में आने वाली अधिकांश विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। लेकिन बावजूद इसके भाजपा को यहां से जीत की उम्मीद है। कांकेर लोकसभा सीट में भाजपा ने वर्तमान सासंद सोहन पोटाई का टिकट काटकर पूर्व वन मंत्री और मौजूदा विधायक विक्रम उसेंडी को टिकट दिया है। नक्सलियों के शहरी नेटवर्क के तार सोहन पोटाई और उनके समर्थकों से जुड़ने के आरोपों के कारण उनका टिकट कटना तय हो गया था। कांग्रेस ने यहां से फूलोदेवी नेताम को टिकट दिया है। फूलोदेवी नेता अजीत जोगी गुट की नेता मानी जाती हैं। लेकिन विधानसभा चुनाव में कांकेर की अधिकतम सीट गवां चुकी भाजपा हर हाल में अपनी लोकसभा सीट बचाए रखने की जुगत में है। यही कारण है कि ऐन चुनाव के पहले रमन सिंह ने आदिवासियों को तोहफा देते हुए पांच प्रकार के लघु वनोपज की सीधी खरीदी करने का ऐलान किया था। हालांकि भाजपा का ये अस्त्र कितना कारगर होगा, ये तो चुनाव के नतीजे ही बता पाएंगे। लेकिन भाजपा के उम्मीदवार विक्रम उसेंडी उतने दमदार उम्मीदवार नहीं है, जितनी की फूलोदेवी नेताम हैं।
महासमुंद सीट से भाजपा ने वर्तमान सांसद चंदूलाल साहू को दोहराया है। साहू बहुल इस सीट पर भी भाजपा चेहरा बदलना चाहती थी, लेकिन कोई योग्य चेहरा नहीं मिल पाने पर साहू को ही फिर मौका दिया गया। इस सीट पर कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को उम्मीदवार घोषित किया है। हालांकि इस सीट पर दिंवगत केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल की बेटी प्रतिभा पांडे भी टिकट की दावेदारी कर रही थीं। लेकिन उनकी दावेदारी को दरकिनार करते हुए जोगी को मैदान में उतारा गया है। जोगी के चुनाव लड़ने से अब सबकी नजरें महासमुंद से भी नहीं हटेंगी। ध्यान रहे कि जोगी एक साल के राजनीतिक सन्यास पर चल रहे थे, लेकिन पार्टी आलाकमान ने उनका राजनीतिक वनवास बीच में खत्म कर उन्हें युद्ध के मैदान में भेज दिया है। महासमुंद सीट पर कांग्रेस का पलड़ा इसलिए भारी दिखाई दे रहा है कि जोगी यहां से पहले भी सासंद रह चुके हैं। 2004 में वीसी शुक्ल कांग्रेस से नाराज होकर भाजपा की टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे। महासमुंद उनकी पारंपरिक सीट थी, लेकिन इस चुनाव में अजीत जोगी ने शुक्ल को 1 लाख 18 हजार 505 मतों से हरा दिया था। जबकि 1970 से 1990 यानि तीन दशक तक यहां पर वीसी शुक्ल सासंद रहे थे। वे यहां से छह बार लोकसभा चुनाव जीते थे। जोगी की इच्छा महासमुंद से ही चुनाव लड़ने की थी, जिस पर आलाकमान ने भी अपनी मुहर लगा दी।
सूबे की सबसे अहम सीट रायपुर से भाजपा ने वर्तमान सांसद रमेश बैस पर ही भरोसा जताया है। बैस लोकसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक भी हैं। बैस लगातार छह बार से रायपुर सीट से भाजपा के सांसद हैं। कांग्रेस ने एक नाटकीय घटनाक्रम के तहत रायपुर से छाया वर्मा को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने रायपुर सीट से एक पखवाड़े में तीन उम्मीदवार बदल दिए। दरअसल कांग्रेस ने सबसे छाया वर्मा को ही रायपुर से टिकट दिया। लेकिन सप्ताह भर बाद ही छाया वर्मा का टिकट काटकर पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा (रायपुर ग्रामीण विधानसभा सीट से मौजूदा विधायक) को टिकट दे दिया गया। इसे लेकर कुर्मी समाज कांग्रेस के विरोध में उतर आया। छाया वर्मा कुर्मी समाज (पिछड़ा वर्ग) से हैं, जिससे कि रमेश बैस भी आते हैं। विरोध को देखते हुए दो दिन के भीतर ही फिर शर्मा का टिकट निरस्त कर छाया वर्मा को उम्मीदवार घोषित कर दिया गया।
दूसरी महत्वपूर्ण सीट दुर्ग से भाजपा ने मौजूदा सांसद सरोज पांडे पर ही भरोसा जताया है। पांडे भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। वहीं कांग्रेस ने इनके मुकाबले ताम्रध्वज साहू को टिकट दिया है। साहू हाल ही में विधानसभा चुनाव हारे हैं। दुर्ग में साहू समाज बहुलता में निवास करता है, इसी बात को ध्यान में रखकर साहू को टिकट दिया गया है।
रायगढ़ सीट पर एक बार फिर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय को मौका दिया है। यह सीट लगातार तीन बार से भाजपा के खाते में जा रही है। पहले सीट लंबे समय तक कांग्रेस के कब्जे में रही है। यहां से अजीत जोगी भी सासंद रह चुके हैं। इस सीट पर कांग्रेस ने आरती सिंह को उतारा है। पार्टी की पहली सूची में सारंगढ़ राजपरिवार की मेनका सिंह को टिकट दिया गया था। लेकिन सप्ताह भर के बाद ही जशपुर जिले की कांग्रेस अध्यक्ष आरती सिंह को टिकट दे दिया गया।
सरगुजा सीट से भाजपा ने नए चेहरे कमलभान सिंह को मैदान में उतारा है। सरगुजा में गोंड जाति के लोग सबसे ज्यादा संख्या में निवास करते हैं। इसके बाद उरांव और कंवर समाज का नंबर आता है। 2009 के लोकसभा चुनाव में ये सीट भाजपा के खाते में आई थी। यहां से मुरारीलाल सिंह चुनाव जीते थे, लेकिन अपना कार्यकाल खत्म करने के पहले ही नंबवर 2013 में उनका निधन हो गया। कांग्रेस ने इस सीट से रामदेव राम को मौका दिया है। रामदेव राम इलाके के खासे लोकप्रिय नेता हैं।
कोरबा सीट से कांग्रेस ने चरणदास मंहत को दोहराया है। कोरबा सीट परिसीमन के बाद 2009 में अस्तित्व में आई थी। इस सीट से महंत ने करुणा शुक्ला को हराया था। इस बार भाजपा ने बंशीलाल महतो को मौका दिया है।
सूबे की एकमात्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट जांजगीर चांपा से भाजपा ने मौजूदा सासंद कमला पाटले को दोबारा मौका दिया है। वहीं कांग्रेस ने नए चेहरे प्रेमचंद जायसी को मौका दिया है। इस सीट पर रोचक मुकाबला होगा।
बिलासपुर में कांग्रेस के टिकट से इस बार करुणा शुक्ला चुनाव लड़ेंगी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई की भतीजी और 32 सालों तक भाजपा में रहीं करुणा हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुई हैं। भाजपा ने यहां से नए चेहरे लखन साहू को मैदान में उतारा है। हालांकि बिलासपुर सीट पर ब्राह्मण मतदाता बहुतायात में निवास करते हैं। ऐसे में करुणा का पलड़ा भारी नजर आ रहा है।
पौने दो करोड़ मतदाता करेंगे भाग्य का फैसला

कांकेर लोकसभा क्षेत्र में 14 लाख 42 हजार 279, कोरबा लोकसभा क्षेत्र में 14 लाख 12 हजार 551, जांजगीर-चांपा लोकसभा क्षेत्र में 17 लाख 35 हजार 479, दुर्ग लोकसभा क्षेत्र में 18 लाख 43 हजार 686, बस्तर लोकसभा क्षेत्र में 12 लाख 94 हजार 546, बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र में 17 लाख 9 हजार 935, महासमुंद लोकसभा क्षेत्र में 15 लाख 11 हजार 43, राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र में 15 लाख 80 हजार 456, रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र में 16 लाख 13 हजार 058, रायपुर लोकसभा क्षेत्र में 18 लाख 75 हजार 452 और सरगुजा लोकसभा क्षेत्र में 15 लाख 10 हजार 663 मतदाता पंजीकृत है।  कुल मतदाताओं की संख्या 1 करोड़ 75 लाख 29 हजार 148 है जिसमें महिला मतदाताओं की संख्या 86 लाख 46 हजार 307 और पुरुष मतदाताओं की संख्या 88 लाख 81 हजार 306 है जबकि अन्य मतदाताओं की संख्या 1535 शामिल है।

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