पूर्व प्रधानमंत्री
अटल बिहारी बाजपेयी भाजपा की वर्तमान कार्यप्रणाली से खुश नहीं है। भले ही वे
स्वास्थगत कारणों से कुछ भी नहीं बोल पा रहे हों, लेकिन वे भाजपा पर हावी एक गुट
को लेकर चिंतित रहते हैं। ये आरोप हैं अटल बिहारी बाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला
का। कभी भाजपा की टिकट से लोकसभा सांसद रहीं करुणा शुक्ला हाल ही में कांग्रेस में
शामिल हुई हैं। शुक्ला का कहना है कि कांग्रेस में शामिल होने के पहले और बाद में
वे अटल जी से मिलने उनके आवास गई थीं। तब अटल जी के साथ रह रहे अन्य परिजनों ने
उनके कदम का समर्थन करते हुए उनकी हौंसला अफजाई की थी।
कांग्रेस का पक्ष
लेते हुए करुणा शुक्ला ने कहा कि भाजपा भ्रष्टाचारियों से भरी पड़ी है। जबकि
कांग्रेस ने हमेशा अपने भ्रष्ट नेताओं पर कार्रवाई कर कड़ा संदेश दिया है। शुक्ला
ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार को
लेकर सीएम के जीरो टॉलरेंस की परते उधड़नी अभी बाकी हैं। अभी तो भाजपा सरकार को कई
तरह का ‘टॉलरेंस’ सहना होगा। शुक्ला
ने ये आरोप भी लगाया कि जिस राम जेठमलानी ने अटल बिहारी बाजपेयी के खिलाफ बगावती
तेवर अपनाकर चुनाव लड़ा था, भाजपा ने उन्हीं को राज्यसभा भेजकर अटल जी को भुला
देने के संकेत दे दिए थे। करुणा शुक्ला ने नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा
कि भाजपा ने जिस व्यक्ति को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया है, उसने ना तो
पतिधर्म निभाया ना ही राजधर्म। वे ऐसी पार्टी में नहीं रहना चाहती थीं, जिसने उनके
स्वाभिमान की रक्षा नहीं की। शुक्ला ने आरोप लगाया कि भाजपा एक गुट विशेष की
पार्टी रह गई है।
विधानसभा चुनाव के
वक्त बगावती तेवर के कारण पार्टी छोड़ने वाली करुणा शुक्ला 32 साल तक भाजपा में
रही हैं। इस दौरान उन्होंने भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व में भी कई महत्वपूर्ण पदों
पर काम किया है। वे भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। वे छत्तीसगढ़
भाजपा में भी वे पांच विभिन्न अहम समितियों में भूमिका निभाती रही हैं। हालांकि
करुणा शुक्ला की मुख्यमंत्री रमन सिंह से कभी नहीं पटी। 2009 में हुए विधानसभा
चुनाव में वे कोरबा लोकसभा सीट पर कांग्रेस के चरणदास महंत से हार गई थीं। तभी से
उनके और भाजपा संगठन के बीच दूरियां बढ़ना शुरु हो गई थीं। फिलहाल कांग्रेस करुणा
शुक्ला को एक उपलब्धि के तौर पर देख रही है। भले ही शुक्ला के कांग्रेस की टिकट पर
बिलासपुर से चुनाव लड़ने की संभावना के कारण कांग्रेस का स्थानीय नेतृत्व दो फाड़
हो गया हो।
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