सोमवार, 23 मार्च 2020

बस्तर का सल्फीपदर गांव, जहां हो रही काली मिर्च की सामुदायिक खेती


आईये आज आपको मिलवाते हैं हरिसिंह #सिदार से। #कोंडागांव के लंजोड़ा में रहते हैं और आदिवासी इलाकों का सतत दौरा करते हैं। उम्र 70 वर्ष के पार है।
सिदार जी आजकल एक अभियान में लगे हैं, जिससे इनके क्षेत्र के आदिवासी आर्थिक रूप से समर्थ हो जाएंगे। इनके गांव के पास है सल्फी पदर नामक अन्य गाँव। #साल के ऊंचे-ऊंचे वृक्षों से भरा सल्फी पदर एक आर्थिक क्रांति का उदाहरण बनने जा रहा है। हरिसिंह सिदार इन साल के पेड़ों के साथ #कालीमिर्च का पौधा लगवा रहे हैं। हरेक पेड़ के साथ एक कालीमिर्च की बेल लगाई जा रही है। ये कार्य सामुदायिक सहयोग से हो रहा है। सल्फी पदर के निवासी और स्थानीय प्रशासन व वन विभाग इसमें सहयोग कर रहे हैं।
हरिसिंह सिदार बताते हैं कि काली मिर्च की बेल वर्षों तक पैदावार देती है। इसकी कीमत भी अच्छी है। इसकी फसल से #आदिवासियों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी। जंगल भी सुरक्षित हो जाएंगे। #नक्सलवाद#पलायन#मानव तस्करी जैसी समस्याओं से मुक्ति मिलेगी।
कोंडागांव में उन्नत किसान राजाराम त्रिपाठी काली मिर्च की खेती कर रहे हैं। उनसे ही प्रेरणा लेकर सिदार जी आदिवासियों के लिए इसे व्यापक रूप देने का प्रयास कर रहे हैं। बस्तर का क्लाइमेट दक्षिण भारत जैसा है। यहां काली मिर्च, नारियल, कोको, कॉफी जैसी फसल बड़े पैमाने पर ली जा सकती है। अब जरूरत है कि राज्य सरकार और मुख्यमंत्री श्री Bhupesh Baghel जी इस और ध्यान दे, तो बस्तर की तस्वीर बदल सकती है।
#फोटो राजाराम त्रिपाठी के कालीमिर्च उत्पादन क्षेत्र की है। पीछे साल के पेड़ों पर काली मिर्च की बेल नज़र आ रही है। साथ में हैं हरिसिंह सिदार जी।