अपनी 80वीं वर्षगांठ मना रहे माउंट आबू स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की एक खासियत देश का पहला इको फ्रेंडली ग्रीन किचन है। जहां बगैर प्रदूषण फैलाए एक बार में चालीस हजार लोगों का खाना बनता है। इस ग्रीन किचन की खासियत यह भी है कि यहां थर्मिक फ्लूएंस इटिंग सिस्टम से खाना बनता है, जो देश में अपने आप में अनूठा है।
ब्रह्माकुमारीज़ के मेगा किचन की एक विशेषता यह है कि यहां भोजन बनाने वाले लोग वेतनिक कर्मचारी नहीं होते हैं, बल्कि आश्रम में ही आस्था रखने वाले फॉलोअर्स होते हैं। जो देश के कोने-कोने से पहुंचकर निस्वार्थ भाव से अपने ही जैसे फॉलोअर्स की सेवा करने पहुंचते हैं। एक ही समय में यहां हजारों रोटियां पकाई जाती हैं, सैंडविच और पराठें तैयार किए जाते हैं। किचन का माहौल बेहद आध्यात्मिक होता है, ईश्वर की याद में खाना पकाया जाता है। साथ ही स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है। यहां सैंकडों ट्रकों में भरकर सब्जी आती है, जिसे कोल्ड स्टोरेज में संरक्षित करके रख लिया जाता है। फिर मेनू के मुताबिक सब्जियों की कंटाई-छंटाई कर उन्हें पकाया जाता है।
यहां आने वाले सेलिब्रिटिज़ भी ब्रह्माकुमारिज़ के मेगा किचन को देखकर दंग रह जाते हैं। मेगा किचन के विहंगम दृश्य को देखकर राज्यसभा के उपसभापति पीजे कुरियन भी इसकी तारीफ किए बगैर नहीं रह पाए।
जब आप माउंट आबू आएं तो ब्रह्माकुमारिज़ जरूर आएं। एक आध्यात्मिक संस्थान किस तरह लाखों लोगों को जीवन जीने की कला सिखाने के साथ-साथ प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण करना भी सिखाता है, यह देखना आपके लिए अद्भुत और बिरला अनुभव साबित होगा।