शुक्रवार, 21 मार्च 2014

किसमें कितना है दम

छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों को लेकर कांग्रेस और भाजपा ने अपने-अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। प्रत्याशियों के ऐलान के साथ स्पष्ट हुए राजनीतिक समीकरण से तय हो गया है कि किस सीट पर किसका पलड़ा भारी रह सकता है। फिलहाल सूबे की 11 में से 10 सीटें भाजपा के पास हैं, जबकि एकमात्र सीट कोरबा पर कांग्रेस का कब्जा है। लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतना चाहती है। हालांकि भाजपा ने भी काफी सोच समझकर हर सीट पर उम्मीदवार तय किए हैं। भाजपा ने सात पुराने चेहरों को मौका दिया है, जबकि पांच नए चेहरों को मैदान में उतारा है। उसमें छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह का नाम भी शामिल है। जिन्हें राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र से भाजपा का उम्मीदवार बनाया गया है। छत्तीसगढ़ में तीन चरण में लोकसभा चुनाव होना है। पहले चरण में यानि 10 अप्रैल को बस्तर लोकसभा सीट के लिए मतदान होगा। जबकि 17 अप्रैल को राजनांदगांव, कांकेर और महासमुंद मे वोट डाले जाएंगे। जबकि 24 अप्रैल को रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, जांजगीर चांपा, रायगढ़, कोरबा और सरगुजा में मतदान होगा। लेकिन दूसरे चरण की दो सीटों पर सबकी नजरें टिकी रहेंगी, क्योंकि राजनांदगांव में सूबे के वर्तमान मुख्यमंत्री रमन सिंह तो महासमुंद में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।
नक्सलवाद से जूझ रहे छत्तीसगढ़ में सबसे बड़ी चुनौती माओवाद प्रभावित सीटों पर शांतिपूर्वक चुनाव संपन्न करवाना है। यही कारण है कि पहले चरण में केवल एक बस्तर सीट पर मतदान होना है। माओवादियों के नापाक मंसूबों को नाकाम करने के लिए फिलहाल सुरक्षा बलों की 65 कंपनियां बस्तर पहुंच रही हैं। इनमें केंद्रीय रिजर्व सुरक्षा बल, आईटीबीपी, बीएसएफ शामिल हैं। हालांकि राज्य सरकार ने केंद्र ने और अर्ध्यसैनिक बलों की मांग की है। बस्तर से कांग्रेस ने महेंद्र कर्मा के बेटे दीपक कर्मा को टिकट दिया है। महेंद्र कर्मा मई 2013 में झीरम घाटी हमले में मारे गए थे। भाजपा ने दीपक के मुकाबले अपने वर्तमान सासंद दिनेश कश्यप पर ही भरोसा जताया है। वहीं आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार सोनी सोरी दोनों को कड़ी चुनौती देती नजर आ रही है। सोनी सोनी पर नक्सलियों की मदद के आरोप हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट से उन्हें जमानत मिली है। आप की टिकट मिलते ही सोनी सोरी ने भाजपा और कांग्रेस दोनों पर शाब्दिक प्रहार शुरु कर दिया है। अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित ये सीट वैसे भी भाजपा के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकती है। इसका कारण विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बस्तर लोकसभा में आने वाली 12 में 8 सीटों पर फतह हासिल की थी। जिसका फायदा कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में मिल सकता था, लेकिन सोनी सोरी की उम्मीदवारी ने कांग्रेस की संभावनाओं को भी क्षीण कर दिया है। बस्तर सीट पर त्रिशंकु मुकाबला देखने लायक होगा।
दूसरे चरण में छत्तीसगढ़ की माओवाद प्रभावित सीटों पर ही चुनाव होने हैं। इनमें राजनांदगांव, कांकेर, महासमुंद लोकसभा सीट शामिल हैं। राजनांदगांव सीट पर मुख्यमंत्री रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह किस्मत आजमाएंगे। यहां से भाजपा के वर्तमान सासंद मधुसूदन यादव की टिकट काटी गई है। दिलचस्प बात ये है कि नरेंद्र मोदी भी इस सीट को लेकर चिंता जता चुके हैं। सूत्र बताते हैं कि मोदी ने उम्मीदवार की जीत तय करने के लिए किसी एक की जिम्मेदारी तय करने की हिदायत भी दी है। कांग्रेस ने यहां से नए चेहरे कमलेश्वर वर्मा को टिकट देकर इलाके के लोधी समाज को साधने की कोशिश की है। राजनांदगांव सीट पर सबकी नजरें होंगी क्योंकि इसपर खुद मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। हालांकि राजनांदगांव में आने वाली अधिकांश विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। लेकिन बावजूद इसके भाजपा को यहां से जीत की उम्मीद है। कांकेर लोकसभा सीट में भाजपा ने वर्तमान सासंद सोहन पोटाई का टिकट काटकर पूर्व वन मंत्री और मौजूदा विधायक विक्रम उसेंडी को टिकट दिया है। नक्सलियों के शहरी नेटवर्क के तार सोहन पोटाई और उनके समर्थकों से जुड़ने के आरोपों के कारण उनका टिकट कटना तय हो गया था। कांग्रेस ने यहां से फूलोदेवी नेताम को टिकट दिया है। फूलोदेवी नेता अजीत जोगी गुट की नेता मानी जाती हैं। लेकिन विधानसभा चुनाव में कांकेर की अधिकतम सीट गवां चुकी भाजपा हर हाल में अपनी लोकसभा सीट बचाए रखने की जुगत में है। यही कारण है कि ऐन चुनाव के पहले रमन सिंह ने आदिवासियों को तोहफा देते हुए पांच प्रकार के लघु वनोपज की सीधी खरीदी करने का ऐलान किया था। हालांकि भाजपा का ये अस्त्र कितना कारगर होगा, ये तो चुनाव के नतीजे ही बता पाएंगे। लेकिन भाजपा के उम्मीदवार विक्रम उसेंडी उतने दमदार उम्मीदवार नहीं है, जितनी की फूलोदेवी नेताम हैं।
महासमुंद सीट से भाजपा ने वर्तमान सांसद चंदूलाल साहू को दोहराया है। साहू बहुल इस सीट पर भी भाजपा चेहरा बदलना चाहती थी, लेकिन कोई योग्य चेहरा नहीं मिल पाने पर साहू को ही फिर मौका दिया गया। इस सीट पर कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को उम्मीदवार घोषित किया है। हालांकि इस सीट पर दिंवगत केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल की बेटी प्रतिभा पांडे भी टिकट की दावेदारी कर रही थीं। लेकिन उनकी दावेदारी को दरकिनार करते हुए जोगी को मैदान में उतारा गया है। जोगी के चुनाव लड़ने से अब सबकी नजरें महासमुंद से भी नहीं हटेंगी। ध्यान रहे कि जोगी एक साल के राजनीतिक सन्यास पर चल रहे थे, लेकिन पार्टी आलाकमान ने उनका राजनीतिक वनवास बीच में खत्म कर उन्हें युद्ध के मैदान में भेज दिया है। महासमुंद सीट पर कांग्रेस का पलड़ा इसलिए भारी दिखाई दे रहा है कि जोगी यहां से पहले भी सासंद रह चुके हैं। 2004 में वीसी शुक्ल कांग्रेस से नाराज होकर भाजपा की टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे। महासमुंद उनकी पारंपरिक सीट थी, लेकिन इस चुनाव में अजीत जोगी ने शुक्ल को 1 लाख 18 हजार 505 मतों से हरा दिया था। जबकि 1970 से 1990 यानि तीन दशक तक यहां पर वीसी शुक्ल सासंद रहे थे। वे यहां से छह बार लोकसभा चुनाव जीते थे। जोगी की इच्छा महासमुंद से ही चुनाव लड़ने की थी, जिस पर आलाकमान ने भी अपनी मुहर लगा दी।
सूबे की सबसे अहम सीट रायपुर से भाजपा ने वर्तमान सांसद रमेश बैस पर ही भरोसा जताया है। बैस लोकसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक भी हैं। बैस लगातार छह बार से रायपुर सीट से भाजपा के सांसद हैं। कांग्रेस ने एक नाटकीय घटनाक्रम के तहत रायपुर से छाया वर्मा को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने रायपुर सीट से एक पखवाड़े में तीन उम्मीदवार बदल दिए। दरअसल कांग्रेस ने सबसे छाया वर्मा को ही रायपुर से टिकट दिया। लेकिन सप्ताह भर बाद ही छाया वर्मा का टिकट काटकर पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा (रायपुर ग्रामीण विधानसभा सीट से मौजूदा विधायक) को टिकट दे दिया गया। इसे लेकर कुर्मी समाज कांग्रेस के विरोध में उतर आया। छाया वर्मा कुर्मी समाज (पिछड़ा वर्ग) से हैं, जिससे कि रमेश बैस भी आते हैं। विरोध को देखते हुए दो दिन के भीतर ही फिर शर्मा का टिकट निरस्त कर छाया वर्मा को उम्मीदवार घोषित कर दिया गया।
दूसरी महत्वपूर्ण सीट दुर्ग से भाजपा ने मौजूदा सांसद सरोज पांडे पर ही भरोसा जताया है। पांडे भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। वहीं कांग्रेस ने इनके मुकाबले ताम्रध्वज साहू को टिकट दिया है। साहू हाल ही में विधानसभा चुनाव हारे हैं। दुर्ग में साहू समाज बहुलता में निवास करता है, इसी बात को ध्यान में रखकर साहू को टिकट दिया गया है।
रायगढ़ सीट पर एक बार फिर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय को मौका दिया है। यह सीट लगातार तीन बार से भाजपा के खाते में जा रही है। पहले सीट लंबे समय तक कांग्रेस के कब्जे में रही है। यहां से अजीत जोगी भी सासंद रह चुके हैं। इस सीट पर कांग्रेस ने आरती सिंह को उतारा है। पार्टी की पहली सूची में सारंगढ़ राजपरिवार की मेनका सिंह को टिकट दिया गया था। लेकिन सप्ताह भर के बाद ही जशपुर जिले की कांग्रेस अध्यक्ष आरती सिंह को टिकट दे दिया गया।
सरगुजा सीट से भाजपा ने नए चेहरे कमलभान सिंह को मैदान में उतारा है। सरगुजा में गोंड जाति के लोग सबसे ज्यादा संख्या में निवास करते हैं। इसके बाद उरांव और कंवर समाज का नंबर आता है। 2009 के लोकसभा चुनाव में ये सीट भाजपा के खाते में आई थी। यहां से मुरारीलाल सिंह चुनाव जीते थे, लेकिन अपना कार्यकाल खत्म करने के पहले ही नंबवर 2013 में उनका निधन हो गया। कांग्रेस ने इस सीट से रामदेव राम को मौका दिया है। रामदेव राम इलाके के खासे लोकप्रिय नेता हैं।
कोरबा सीट से कांग्रेस ने चरणदास मंहत को दोहराया है। कोरबा सीट परिसीमन के बाद 2009 में अस्तित्व में आई थी। इस सीट से महंत ने करुणा शुक्ला को हराया था। इस बार भाजपा ने बंशीलाल महतो को मौका दिया है।
सूबे की एकमात्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट जांजगीर चांपा से भाजपा ने मौजूदा सासंद कमला पाटले को दोबारा मौका दिया है। वहीं कांग्रेस ने नए चेहरे प्रेमचंद जायसी को मौका दिया है। इस सीट पर रोचक मुकाबला होगा।
बिलासपुर में कांग्रेस के टिकट से इस बार करुणा शुक्ला चुनाव लड़ेंगी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई की भतीजी और 32 सालों तक भाजपा में रहीं करुणा हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुई हैं। भाजपा ने यहां से नए चेहरे लखन साहू को मैदान में उतारा है। हालांकि बिलासपुर सीट पर ब्राह्मण मतदाता बहुतायात में निवास करते हैं। ऐसे में करुणा का पलड़ा भारी नजर आ रहा है।
पौने दो करोड़ मतदाता करेंगे भाग्य का फैसला

कांकेर लोकसभा क्षेत्र में 14 लाख 42 हजार 279, कोरबा लोकसभा क्षेत्र में 14 लाख 12 हजार 551, जांजगीर-चांपा लोकसभा क्षेत्र में 17 लाख 35 हजार 479, दुर्ग लोकसभा क्षेत्र में 18 लाख 43 हजार 686, बस्तर लोकसभा क्षेत्र में 12 लाख 94 हजार 546, बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र में 17 लाख 9 हजार 935, महासमुंद लोकसभा क्षेत्र में 15 लाख 11 हजार 43, राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र में 15 लाख 80 हजार 456, रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र में 16 लाख 13 हजार 058, रायपुर लोकसभा क्षेत्र में 18 लाख 75 हजार 452 और सरगुजा लोकसभा क्षेत्र में 15 लाख 10 हजार 663 मतदाता पंजीकृत है।  कुल मतदाताओं की संख्या 1 करोड़ 75 लाख 29 हजार 148 है जिसमें महिला मतदाताओं की संख्या 86 लाख 46 हजार 307 और पुरुष मतदाताओं की संख्या 88 लाख 81 हजार 306 है जबकि अन्य मतदाताओं की संख्या 1535 शामिल है।

मंगलवार, 18 मार्च 2014

मोदी के लिए अमेरिका करेगा कॉल




यदि लोकसभा चुनाव के मौके पर आपके फोन पर आई कॉल में अमेरिका का नंबर दिखाई पड़ रहा हो तो चौंकिएगा मत...क्योंकि पूरे चुनाव के दौरान अमेरिका से रोजाना हजारों फोनकॉल्स के जरिए नरेंद्र मोदी के लिए वोट मांगे जाएंगे। ना केवल नरेंद्र मोदी के लिए, बल्कि भाजपा के स्थानीय लोकसभा उम्मीदवारों के लिए भी अमेरिका में बैठे प्रवासी भारतीय अभियान चलाने की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए बकायदा हिंदुस्तान के हर कोने से मतदाताओं के फोन नंबर अमेरिका भेजे जा रहे हैं। 
इतना ही नहीं नरेंद्र मोदी को देश का अगला प्रधानमंत्री बनाने के लिए अमेरिका समेत कई देशों से फंड इकट्ठा किया जा रहा है। मोबाइल नंबर पर मिस कॉल दिलवाकर प्रवासी भारतीयों को मोदी के समर्थन में रजिस्टर किया जा रहा है। नए वॉलेंटियर बनाए जा रहे हैं। OFBJP272.COM अभियान चलाया जा रहा है। हिंदुस्तान में तो केवल रन फॉर यूनिटी चलाया जा रहा है, जबकि यूएस में एक कदम आगे बढ़कर न्यू जर्सी जैसे ठंडे इलाकों में (जहां फिलहाल दौड़ना मुमकिन नहीं है) योगा फॉर यूनिटी भी आयोजित किया जा रहा है। जिन इलाकों में दौड़ लगाई जा सकती है, वहां यूएस रन फॉर यूनिटी कार्यक्रम भी कराए जा रहे हैं। नमो चाय पार्टी केवल भारत में ही नहीं बल्कि मिशीगन, न्यू जर्सी, न्यूयॉर्क, वाशिंगटन डीसी, नार्थ कारोलिना में भी आयोजित की जा रही है... और ये सब हो रहा है ओवरसीस फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी के बैनरतले। नरेंद्र मोदी को देश का अगला प्रधानमंत्री बनवाने के लिए भाजपा के प्रवासी भारतीय कार्यकर्ता कमर कसकर मैदान में उतर चुके हैं।
चार हजार सदस्यों वाले OFBJP US (overseas friends of bjp US) ने अमेरिका में रहने वाले 3 मिलियन भारतीयों को रिझाने के लिए कई तरह के कैम्पेन चला रखे हैं। इसमें कोई शक नहीं कि इस चुनावी युद्ध में सबसे बड़े हथियार के रूप में सोशल मीडिया यानि फेसबुक, ट्विटर, फोन कॉल्स और वेबसाइट OFBJP272.COM का इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन इन सबसे इतर बात ये है कि भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री पद के भावी उम्मीदवार नरेंद्र मोदी सैटेलाइट के जरिए यूएसए में रहने वाले भारतीयों से लाइव कॉफ्रेंस कर सहयोग मांगने की योजना पर काम कर रहे हैं। मोदी जल्द ही गांधीनगर (गुजरात) से अमेरिका के प्रवासी भारतीयों को संबोधित करेंगे।
Overseas friends of bjp US chapter के अध्यक्ष चंद्रकांत पटेल ने तहलका को बताया कि इस चुनाव में प्रवासी भारतीय कुछ ज्यादा रुचि रख रहे हैं। ये भी तय है कि वे इस आम चुनाव में महत्वपूर्ण रोल भी निभाएंगे। हमारी योजना दो तरह से नरेंद्र मोदी के लिए अभियान चलाने की है। पहला तो भारत पहुंचकर चुनाव प्रचार करने का। दूसरा यहीं से बैठे-बैठे फोन कॉल्स के जरिए लोगों को भाजपा के पक्ष में मतदान करने के लिए अपील करने का। इसके लिए हम नए वॉलेंटियर बना रहे हैं। इनकी संख्या हजारों में पहुंच चुकी है। इनमें से आधे चुनाव के वक्त भारत जाएंगे और भाजपा के पक्ष में चुनाव प्रचार करेंगे। हर सदस्य हिंदुस्तान के उन इलाकों में जाकर कैम्पेन चलाएगा, जहां का वो खुद रहने वाला है। मैं छत्तीसगढ़ के चिरमिरी इलाके का हूं तो मैं वहां जाकर ही मोदी के पक्ष में माहौल बनाउंगा। कुछ वालेंटियर अमेरिका में ही रहकर फोनकॉल्स और एसएमएस के जरिए लोगों को भाजपा के पक्ष में मत देने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। हमारा एक वालेटिंयर एक दिन में कम से कम 200 लोगों को फोन करेगा
हाल ही में OFBJP US के अध्यक्ष बने चंद्रकांत पटेल फ्लोरिडा के टेम्पा में रहते हैं। 1989 में यूएस पहुंचे पटेल इलेक्ट्रॉनिक्स और माइक्रोचिप मैन्यूफैक्चरिंग के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। वे छत्तीसगढ़ के चिरमिरी क्षेत्र के रहने वाले हैं। अमेरिका जाने से पहले वे चिरमिरी के जिला भाजपा अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उनका परिवार जनसंघ से जुड़ा रहा है। अब वे अमेरिका में सक्रिय हैं। इस समय भले ही वे और उनका संगठन मोदी के प्रचार में जुटा है। लेकिन आम तौर पर वे भारत से अमेरिका पहुंचने वाले भाजपा नेताओं के लिए कार्यक्रमों आयोजित करते हैं। भाजपा के पक्ष में माहौल तैयार करते हैं। भाजपा विरोधी बातों को देश के बाहर काउंटर करने की जिम्मेदारी भी OFBJP की ही है। overseas friends of bjp के यूएस चैप्टर की नींव 1991 में पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने रखी थी। इसमें सदस्यता प्राप्त करने के लिए विद्यार्थियों से लेकर सिनीयर सिटीजन्स तक कई कैटेगरी है। इसमें प्रायमरी मेम्बर्स, एसोसिएट मेम्बर और एक्टिव मेम्बर्स के लिए अलग-अलग सदस्यता शुल्क निर्धारित है। जो 1 डॉलर से लेकर 100 डॉलर तक है। ये देश के बाहर सबसे पुराना और सबसे बड़ा संगठन है, जो भाजपा की एक इकाई के रूप में काम करता है।
OFBJP ने MODI FOR PM, DONATE FOR MODI जैसे अभियान चला रखे हैं। जहां प्रवासी भारतीय मोदी के लिए धन भी दान कर रहे हैं। ये राशि सीधे भाजपा के खाते में जा रही है। जबकि OVERSEAS FRIENDS OF BJP का कोर ग्रुप अपने स्तर पर भी चंदा इकट्ठा कर रहा है। जो अमेरिका में ही चल रहे प्रचार पर खर्च किया जा रहा है।
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव जगतप्रकाश नड्डा कहते हैं कि, नरेंद्र मोदी को लेकर एकतरफा लहर चल पड़ी है। इससे विदेशों में रहने वाले भारतीय कैसे बच सकते हैं। हमारे अप्रवासी भारतीय बंधु भी वातावरण बनाने में सहयोग कर रहे हैं। लेकिन मैं ऐसा मानता हूं कि देश के सभी लोगों का रुझान मोदी जी की तरफ जा रहा है। लोगों को उनमें पूरी आस्था है। अप्रवासी भारतीय भी अब परिवर्तन चाहते हैं। यही कारण है कि वे खुले दिल से मोदी जी को सपोर्ट कर रहे हैं
हालांकि कांग्रेस मोदी फॉर पीएम नाम के इस अंतर्राष्ट्रीय अभियान से कोई इत्तेफाक नहीं रखती। ना ही उसे लगता है कि इससे भाजपा को कोई फायदा होगा। इस बारे में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव मुकुल वासनिक कहते हैं कि, हर दल अपने तरीके से चुनाव जीतने की कोशिश कर रहा है। लेकिन केंद्र में सरकार तो हमारी ही बनेगी। कांग्रेस पार्टी अपनी 10 साल की उपलब्धियों के बल जनता से वोट मांगेगी। हमें पूरा भरोसा है, जैसे-जैसे चुनाव का वक्त नजदीक आएगा, वातावरण में कई बदलाव आएंगे। जहां तक भारत के बाहर मोदी की बढ़ती लोकप्रियता की बात है, इसमें कोई तथ्य नहीं है। ये केवल भाजपा का भ्रामक प्रचार है
चंद्रकांत पटेल बताते हैं कि सिंतबर 2013 में उनकी नरेंद्र मोदी के साथ हुई बैठक में तय किया गया था कि कोई भी अप्रवासी भारतीय भारत आकर नेताओं की परिक्रमा नहीं करेगा। कहने का मतलब ये कि सभी एनआरआई अपने-अपने मूल स्थानों पर जाकर अपने रिश्तेदारों, दोस्तों और पास पड़ोसियों को भाजपा के पक्ष में मतदान करने के लिए चुनाव प्रचार करेंगे। हमारे साथ कई अमेरिकी युवा भी होंगे, जिनके माता-पिता भारतीय मूल के हैं। हम उन युवाओं को भी जोड़ रहे हैं, जो आईटी सेक्टर से हैं। जिनके पास एच-1 वीजा या भारतीय पासपोर्ट है।
भाजपा के इस ग्लोबल संगठन ने आम चुनाव की तैयारी काफी पहले ही शुरु कर दी थी। इसके लिए पार्टी के आला नेताओं के साथ कई दौर की मीटिंग्स भी हो चुकी हैं। भाजपा के कई नेता बारी-बारी से वीडिया काफ्रेंस के जरिए भी विदेश में बसे भारतीयों से बात कर रहे हैं। उनसे भाजपा को 272 सीटों के जादुई आंकड़े तक पहुंचाने के लिए हर संभव मदद की अपील कर रहे हैं।
इस वक्त पूरी दुनिया की नज़र भारत में होने वाले आम चुनावों पर हैं। ऐसे में विदेशों में बसे लाखों भारतीय इससे कैसे अछूते रह सकते हैं। वे अपने ड्राइंग रूम्स में लगे टीवी सेट या इंटरनेट के जरिए हिंदुस्तान में पल-पल घट रही राजनीतिक घटनाओं पर नजर बनाए हुए हैं। अब ये बात और है कि उनका रूझान मोदी की तरफ है या राहुल गांधी की तरफ। वे भाजपा को 272 के आंकड़े के पार देखना चाहते हैं या कांग्रेस को। या फिर उनके मन में कोई तीसरा विकल्प पसंद के तौर पर उभर रहा है। ये तो वक्त आने पर ही पता चलेगा। लेकिन इतना तय है कि भाजपा अपने कुशल प्रबंधन के साथ कई वर्गों को साधने में लगी हुई है, जिसमें से अप्रवासी भारतीयों का एक बड़ा, संपन्न और निर्णायक वर्ग भी शामिल है।


गुरुवार, 6 मार्च 2014

अटल भी भाजपा से नाराज-करुणा


पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी भाजपा की वर्तमान कार्यप्रणाली से खुश नहीं है। भले ही वे स्वास्थगत कारणों से कुछ भी नहीं बोल पा रहे हों, लेकिन वे भाजपा पर हावी एक गुट को लेकर चिंतित रहते हैं। ये आरोप हैं अटल बिहारी बाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला का। कभी भाजपा की टिकट से लोकसभा सांसद रहीं करुणा शुक्ला हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुई हैं। शुक्ला का कहना है कि कांग्रेस में शामिल होने के पहले और बाद में वे अटल जी से मिलने उनके आवास गई थीं। तब अटल जी के साथ रह रहे अन्य परिजनों ने उनके कदम का समर्थन करते हुए उनकी हौंसला अफजाई की थी।
कांग्रेस का पक्ष लेते हुए करुणा शुक्ला ने कहा कि भाजपा भ्रष्टाचारियों से भरी पड़ी है। जबकि कांग्रेस ने हमेशा अपने भ्रष्ट नेताओं पर कार्रवाई कर कड़ा संदेश दिया है। शुक्ला ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार को लेकर सीएम के जीरो टॉलरेंस की परते उधड़नी अभी बाकी हैं। अभी तो भाजपा सरकार को कई तरह का टॉलरेंससहना होगा। शुक्ला ने ये आरोप भी लगाया कि जिस राम जेठमलानी ने अटल बिहारी बाजपेयी के खिलाफ बगावती तेवर अपनाकर चुनाव लड़ा था, भाजपा ने उन्हीं को राज्यसभा भेजकर अटल जी को भुला देने के संकेत दे दिए थे। करुणा शुक्ला ने नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा ने जिस व्यक्ति को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया है, उसने ना तो पतिधर्म निभाया ना ही राजधर्म। वे ऐसी पार्टी में नहीं रहना चाहती थीं, जिसने उनके स्वाभिमान की रक्षा नहीं की। शुक्ला ने आरोप लगाया कि भाजपा एक गुट विशेष की पार्टी रह गई है।

विधानसभा चुनाव के वक्त बगावती तेवर के कारण पार्टी छोड़ने वाली करुणा शुक्ला 32 साल तक भाजपा में रही हैं। इस दौरान उन्होंने भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व में भी कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है। वे भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। वे छत्तीसगढ़ भाजपा में भी वे पांच विभिन्न अहम समितियों में भूमिका निभाती रही हैं। हालांकि करुणा शुक्ला की मुख्यमंत्री रमन सिंह से कभी नहीं पटी। 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में वे कोरबा लोकसभा सीट पर कांग्रेस के चरणदास महंत से हार गई थीं। तभी से उनके और भाजपा संगठन के बीच दूरियां बढ़ना शुरु हो गई थीं। फिलहाल कांग्रेस करुणा शुक्ला को एक उपलब्धि के तौर पर देख रही है। भले ही शुक्ला के कांग्रेस की टिकट पर बिलासपुर से चुनाव लड़ने की संभावना के कारण कांग्रेस का स्थानीय नेतृत्व दो फाड़ हो गया हो।